अन्नप्राशन संस्कार

    आर्य समाज में अन्नप्राशन पूजा को “आर्य समाज अन्नप्राशन संस्कार” भी कहा जाता है। यह संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समारोह है, जिसमें शिशु को उपनयन के पश्चात आहारिक पदार्थों से पहली बार परिचित कराया जाता है।
    आर्य समाज में अन्नप्राशन पूजा एक सरल रीति-रिवाज है और इसे विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से संपन्न किया जाता है। यहां आपको आर्य समाज में अन्नप्राशन पूजा के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण चरणों का वर्णन किया गया है:

  • संबंधित आर्य समाज मंदिर का चयन करें: अन्नप्राशन पूजा के लिए एक आर्य समाज मंदिर चुनें जहां यह समारोह संपन्न किया जाता है।
  • पूजा की तिथि तय करें: आपको अपने शिशु की उम्र और आपके परिवार के मान्य आर्य समाज पंडित की सलाह लेकर पूजा की तिथि तय करनी होगी।
  • पंडित की सलाह लें: एक आर्य समाज पंडित से मिलें और आर्य समाज अन्नप्राशन संस्कार के बारे में विस्तार से चर्चा करें। उनके मार्गदर्शन में पूजा की विधि, मंत्र और अन्य आवश्यक तत्वों को समझें।
  • आवश्यक सामग्री को तैयार करें: अन्नप्राशन पूजा के लिए आपको कुछ आवश्यक सामग्री की तैयारी करनी होगी, जैसे शुद्ध अन्न, कपड़े, पूजा सामग्री, घी, दूध, मिष्ठान और फूल।
  • पूजा का आयोजन करें: आर्य समाज मंदिर में पूजा का आयोजन करें। पंडित आपको पूजा की विधि के बारे में निर्देश देंगे और आपके शिशु को उपनयन के बाद अन्नप्राशन कराएंगे।
  • आहार देना: पूजा के बाद, आपको अपने शिशु को पूजा के बाद कुछ शुद्ध अन्न खिलाना होगा। पंडित आपको इसके बारे में सलाह देंगे और शिशु को आहारिक पदार्थों से पहली बार परिचित कराएंगे।